भ्रष्टाचार देव

भ्रष्टाचार ने इंसान की बुद्धि को सड़ा दिया,
जनता की कमाई को सूट बूट में उड़ा दिया ।

मैंने पूछा आमजन से भृष्टाचारी कौन है,
ये सवाल सुनते ही सब के सब मौन हैं ।

सवाल पूछ कर मैंने चुप्पी का पौधा रोप  दिया,
एक सज्जन से सारा कसूर सरकार पर ही थोप दिया ।

मैंने कहा जनाब से सरकार ही क्यों दोषी है,
बेईमानी की तो छाई सब पर ही मदहोशी है ।

ये जबाब सुन सज्जन सोचे विचारे,
मुकम्मल जबाब मिला तो चुप हो गए बेचारे ।

एक रिश्वतखोर से पूछा कानून से क्यों नहीं डरते हो ?
तुम्हें जेल भी हो सकती है , क्यों रिश्वतखोरी करते हो ?

साहब ने कहा हम ऊपर तक भी खर्चा पानी देते हैं ,
और भ्रष्टाचार देव की कृपा से खुले में सांस लेते हैं ।

एक महानुभाव आके बोले सुन बेटा अब्बू प्यारे,
ज्यादा फड़फड़ाया तो हो जायेंगे बारे न्यारे ।

अरे भ्रष्टाचार का भी अपना कायदा है ,
इससे इससे हमारा तुम्हारा और नेताओं सबका फायदा हैं ।

अरे 100 कमाओ 10 भृष्टाचार देव को दान करो,
घर पर आओ कभी बैठ कर जलपान करो ।

ऐसा सुन मेरी आँखे खुल गई ,
और भ्रष्टाचार मिटाने की सारी इच्छाएं मन से धुल गईं 😊😊

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