किसका भाग्य
एक बार एक गांव में एक बहुत पहुंचे हुए साधु बाबा पधारे , सब लोग उनकी बातों से काफी प्रभावित थे ।
उसी गांव में एक साधारण सा आदमी रहता था ।
एक दिन वह आदमी साधुबाबा के पास गया और उन से पूछा मेरे भाग्य में कितना धन है ?
साधु ने कहा- 1 रुपया रोज तुम्हारे भाग्य में है ।
आदमी बहुत खुश रहने लगा ।
उसकी जरूरते 1 रूपये में पूरी हो जाती थी ।
एक दिन उसके मित्र ने कहा में तुम्हारे सादगी जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ ।
आदमी ने कहा मेरी कमाई 1 रुपया रोज की है इसको ध्यान में रखना, इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को ।
मित्र ने कहा कोई बात नहीं मुझे रिश्ता मंजूर है ।
अगले दिन से उस आदमी की कमाई 11 रुपया हो गई !
वह आदमी साधु के पास गया और कहा हे मुनिवर मेरे भाग्य में 1 रूपया लिखा है फिर 11 रुपये क्यो मिल रहे है...?
साधु ने कहा - तुम्हारा किसी से रिश्ता या सगाई हुई है क्या...??
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हाँ हुई है उस आदमी ने जबाब दिया ।
तो साधु महाराज बोले यह तुमको 10 रुपये उसके भाग्य के मिल रहे है जिससे तुम्हारा विवाह तय हुआ है ।
इसको जोड़ना शुरू करो तुम्हारे विवाह में काम आएंगे ।
शादी हो गई और नवदम्पत्ति का गुजारा प्रेमपूर्वक होने लगा ।
एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई और उस व्यक्ति की कमाई 31 रूपये होने लगी
फिर वह साधु के पास गया और कहा हे मुनिवर मेरी और मेरी पत्नी के भाग्य के 11 रूपये मिल रहे थे लेकिन अभी 31 रूपये क्यों मिल रहे है ?
क्या मै कोई अपराध कर रहा हूँ ?
मुनिवर ने कहा- यह तेरे बच्चे के भाग्य के 20 रुपये मिल रहे है ।
हर मनुष्य को उसका प्रारब्ध (भाग्य) मिलता है ।
किसके भाग्य से घर में धन दौलत आती है हमको नहीं पता ।
लेकिन मनुष्य अहंकार करता है कि मैने बनाया,मैंने कमाया,मेरा है,
मै कमा रहा हूँ, मेरी वजह से हो रहा है...
हे प्राणी तुझे नहीं पता तू किसके भाग्य का खा कमा रहा है...।
मैं भाग्य और नसीब को नहीं मानता मगर ये कहानी हमें केवल ये शिक्षा देती है कि कोई भी कर्म केवल निष्ठा से करो ये अभिमान मत करो कि जो कुछ है मेरी वजह से है ।
शमशान-कब्रिस्तान ऐसे बहुत लोगों से भरे पड़े हैं जो सोचते थे की उनके बिना कुछ नहीं होगा ।
इसी के साथ मैं अब्बू जाट अपनी लेखनी को विराम देता हूँ , फिर मिलता हूँ अगले लेख के साथ
तब तक के लिए नमस्कार , 🙏🙏
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