मेरी ख़ुशी

"आँखों के खाली कागज़ पर ,
तैर गयी है ख़ुश्बू तेरी ,
ग़ज़ल उतरने वाली है...!
पागल दुनिया समझ रही है ,
दिल की दुनिया खाली हैं.....!"

महफ़िल हो चाहे बियाबां,
दिन भर मैं रहता तन्हा,
जब जब मैं खोता ख्वाबों में तू क्यूँ आती मतवाली है ....!

इक बार मिले थे तुम मुझको,
कुछ बात हुई सवालात हुए,
कल भी अब्बू यूं उलझा था वैसे ही आज सवाली है !

बचपन से ऐसा ना था मैं,
मेरा  नाम था कभी शरीफों में,
शायद बदला है वक्त अभी सब कहते तू हुआ मवाली है !

तुम मेरे हो ये वहम मेरा,
रहता था मुसलसल सीने में,
तुम चले गए मैं पा न सका अब सीना मेरा खाली है !

हम पा न सके कोई बात नहीं,
तुम तो अब खुश हो साथी ,
तुम खुश हो ये ही तो मेरे जीवन की खुशहाली है !

10 नवम्बर 2017
01:40 अपराह्न

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