अंधा इश्क़

राम और मीरा दोनों साथ साथ पढ़ते थे. मीरा बेहद खूबसूरत थी और समझदार भी राम भी अच्छा लड़का था पढ़ने में बेहद होशियार. दोनों की अच्छी दोस्ती थी और धीरे धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और उन्होंने शादी करने का फैसला किया.
शादी के बाद दोनो की ज़िन्दगी बहुत प्यार से गुजर रही थी. राम उसे बहुत चाहता था और मीरा की खूबसूरती की हमेशा तारीफ़ किया करता था.
दोनों बेहद प्रसन्न थे लेकिन अचानक से कुछ महीनों के बाद मीरा चर्मरोग (skin Disease) से ग्रसित हो गई और धीरे-धीरे उसकी खूबसूरती जाने लगी. खुद को इस तरह देख उसके मन में डर समाने लगा कि यदि वह बदसूरत हो गई, तो उसका राम उससे नफ़रत करने लगेगा और वह उसकी नफ़रत बर्दाशत नहीं कर पाएगी.

इस बीच एक दिन राम को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा. काम ख़त्म कर जब वह घर वापस लौट रहा था, रास्ते में उसकी दुर्घटना हो गई और उस हादसे में उसने अपनी दोनो आँखें खो दी. लेकिन इसके बावजूद भी उन दोनो की जिंदगी सामान्य तरीके से आगे बढ़ती रही.

समय गुजरता रहा और अपने चर्मरोग के कारण मीरा ने अपनी खूबसूरती पूरी तरह गंवा दी. वह बदसूरत हो गई. लेकिन अंधे राम को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था. इसलिए इसका उनके खुशहाल विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. वह उसे उसी तरह प्यार करता रहा.

कहते हैं अच्छे दिन ज्यादा नहीं टिकते एक दिन मीरा की मौत हो गई.राम अब अकेला हो गया था. वह बहुत दु:खी था. वह उस शहर को छोड़कर जाना चाहता था. उसने अंतिम संस्कार की सारी क्रियाविधि पूर्ण की और शहर छोड़कर जाने लगा. तभी एक दोस्त ने पास आकर कहा, “अब तुम बिना सहारे के अकेले कैसे चल पाओगे? इतने साल तो मीरा तुम्हारी मदद किया करती थी.”

राम ने जवाब दिया, “दोस्त! मैं अंधा नहीं हूँ. मैं बस अंधा होने का नाटक कर रहा था. क्योंकि यदि मीरा को पता चल जाता कि मैं उसकी बदसूरती देख सकता हूँ, तो यह उसे उसके रोग से ज्यादा दर्द देता.
इसलिए मैंने इतने साल अंधे होने का दिखावा किया. वह बहुत अच्छी दोस्त और अच्छी पत्नी थी.
मैं बस उसे खुश रखना चाहता था.”

मित्रों यही होता है सच्चा प्यार , प्यार केवल खूबसूरती से नहीं मन से होता है.

इसी के साथ मैं अब्बू जाट अपनी लेखनी को विराम देता हूँ. मिलता हूँ एक नए लेख के साथ
तब तक के लिये नमस्कार 🙏🙏

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