तुमने मुझे इतना प्यार दिया

इस जीवन में ऐ हमदम
तुमने मुझे इतना प्यार दिया,
जब जी चाहा हाथ थाम कर,
जब चाहा दुत्कार दिया ।

बड़ा हसीं था वो लम्हा,
जब तुम मुझको दिख जाते थे ।
कितना भी होता दर्द हमें,
तुमसे मिल कर मुस्काते थे ।
तुम ना समझे तुम ना जाने, मैंने बस तुमसे  प्यार किया .....
  जब जी चाहा हाथ थाम कर जब चाहा दुत्कार दिया ।

वो मनहूस घड़ी भी आई,
जब तुमने मुझको छोड़ दिया ।
ना जाने कैसा रिश्ता था,
वो भी तुमने तोड़ दिया ।
तुम्हें हाथ पकड़ कर रोक सकूँ, ना तुमने वो अधिकार दिया....
जब जी चाहा हाथ थाम कर जब चाहा दुत्कार दिया ।

तुम आ न सके हम पा न सके,
अब मुझको दर्द नहीं होता ।
अब नहीं मिलोगे मुझको तुम,
मैं कब तक रहूँ यूं ही रोता ।
अब मैं सम्भला कलम उठा कर लिखने का मैंने विचार किया.....
जब जी चाहा हाथ थाम कर जब चाहा दुत्कार दिया

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
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अब्बू जाट ने कहा…
आपके बहुमूल्य विचारों के लिए हार्दिक आभार

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