दिवालिया भगोड़े

मित्रों आजकल एक दौर सा चल रहा है कि हर रोज एक व्यवसायी हजारों करोड़ का लोन लेकर भाग रहा है . बेशक ये गलत है कि जनता जनार्दन का पैसा लेकर भाग जाओ निःसंदेह ये गलत है मगर दूसरा पहलू भी सोचने योग्य है कि आखिर कोई भी व्यवसायी आखिर क्यों चाहेगा कि उसका जमा जमाया व्यापार चौपट हो जाये और उसे देश छोड़ कर भागना पड़े ?
आप सोचिये कि आपको करोड़ रूपये दिए जाएं तो क्या आप अपना सब कुछ छोड़ कर दूसरे देश में भगोड़े की जिंदगी जी सकते हो ?
मित्रों जो व्यवसायी भाग गया या दिवालिया हो गया उसे गद्दार कहना या गाली देना आसान है लेकिन जरा सोचिए आखिर उसकी कोई मजबूरी भी तो रही होगी कि अचानक से उसे क्यों इस तरह से भागना पड़ा ।
इसका जबाब है चौपट हो चुकी अर्थव्यवस्था और कदम कदम पर फैला भृष्टाचार का दलदल ।
वर्तमान परिदृश्य को देखा जाये तो किसी छोटे बड़े व्यवसायी को पूछ देखिये नोटबंदी और जीएसटी के बाद लगभग हर किसी को घाटा हुआ है या आमदनी में कमी आई है ?
जब आपका व्यवसाय एक लाख के निवेश का है और मान लो 5 प्रतिशत घाटा हुआ तो 5 हजार तो झेल लिया मगर जिनका कारोबार 1000 करोड़ का है तो वही घाटा 50 करोड़ बैठता है तो सीधी सी बात है लंबा घाटा और व्यवसाय दिवालिया होने के कगार पर हां ये बात है कि कुछ बड़े व्यवसायी जो सरकार के करीबी हैं उन्हें रोज फायदा हो रहा है ।
किसी भी कंपनी को देखिये धांधली होती है तो सुपरवाइजर से लेकर निदेशक तक सब मलाई चाटते हैं और जब कंपनी दिवालिया तो केवल मालिक या और दो चार मुख्य अधिकारी ही बदनाम होते हैं यही व्यवस्था है चल रही है चलती रहेगी ।
कारोबारियों की कमर तोड़ उन्हें दिवालिया कर उन्हें गाली देने के बजाय उनके लिए समाधान निकालिये ।
केवल दो चार लोगों पर विशेष कृपा रखने से व्यवसायिक स्थिति नहीं सुधरेगी

विशेष - मैं कोई विशेष आर्थिक और व्यवसायिक जानकार तो नहीं हूँ मगर वर्तमान परिदृश्य को देख कर लिखे बिना नहीं रहा गया ।

इसी के साथ मैं अब्बू जाट अपनी लेखनी को विराम देता हूँ ।
तब तक के लिए नमस्कार मिलते हैं एक नए लेख के साथ

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