पुरानी डायरी से
मित्रों
जिंदगी का एक बंद पन्ना अचानक से खुल गया जब मैंने अपना एक पुरानी डायरी देखी जो शायद मैंने उस वक्त लिखी जब मैं जोश-ए-मुहब्बत के दौर में था ।
आप भी पढ़िए और आंनद लीजिये पहली मुहब्बत की नादानियां ।😊😊
कितनी खूबसूरत हो तुम कितना हसीं चेहरा है तुम्हारा ।
लोग कहते हैं चाँद का टुकड़ा हो तुम,
मैं कहता हूँ चाँद टुकड़ा है तुम्हारा ।
तुम सोचती हो ऐसे ही भूल जाऊंगा तुम्हें
,कयामत तक इन्तजार करूँगा तुम्हारा ।
दो कदम साथ चलो बस तुम मेरे,
कभी छोडुंगा न साथ तुम्हारा ।
लोग कहते हैं कभी नेक बन्दा था मैं भी,
तुम्हारी बेरुखी ने बना दिया मुझे आवारा ।
वैसे तो कभी गलत नहीं किया मैंने,
माफ़ कर देना कभी दुखाया हो दिल जो तुम्हारा।
क्या जरूरत है मुझे गुल-ए-गुलजार की,
आँखों को सुकून देता है दीदार तुम्हारा ।
चले आओ आके थाम लो हाथ मेरा,
टूट गया हूँ कब तक रहूँ बेसहारा ।
दुआ करता हूँ अपने रब से हर रोज,
सदा मुस्कुराता रहे ये चेहरा तुम्हारा ।
रूह भी काँप जाती है ये सोच कर ,
कहीं टूट न जाये ये सिलसिला हमारा ।
थाम कर हाथ कभी मत छोड़ना साहिब,
टूट कर बिखर जायेगा ये Stupid तुम्हारा ।
बेशक लेलो तुम सब तस्वीरें अपनी,
मेरे दिल में बसा है अक्स तुम्हारा ।
टिप्पणियाँ