भूत प्रेत और पाखंड

मान लीजिये, गांव में मेरे घर एक मेहमान पहली बार आया.. मैं उसको गांव के बाहर दूसरे घर में रात को सुलाना चाहता हूँ, जिसमें कोई नहीं रहता।
मैं उसको बताता हूँ कि, "वह हमारा ही घर है, आप वहां आराम से सो जाइये " मैं उसको वहां छोड़कर आता और वह आराम से सो जाता।

अगर मैं उसको बताता कि, "वह एक तपस्वी इन्सान का घर है, जो दिन रात जप-तप करता था, उस घर में देवी-देवता उसको दर्शन देते थे.. उस घर में ऊर्जा है.. पवित्रता है.. रूहानी अहसास है.. उस घर में जो भी सोता है, उसको देवी-देवता दर्शन देते हैं.. मुरादें पूरी करते हैं"

ये सुनकर उसको वह घर धार्मिक स्थान लगता.. घर में क़दम रखते ही उसको पॉज़िटिव ऊर्जा मिलती.. वह रूहानी अहसास से भर जाता.. उसको वहाँ की हर चीज़ पवित्र लगती.. उसको घर में कई बार देवी-देवताओं की झलक मिल जाती.. उसको सपनों में भी देवी-देवता के दर्शन होते और वह स्वर्ग भी देख लेता। ये रात उसके जीवन की सबसे अच्छी रात होती... तब उसको कोई विश्वास नहीं दिला सकता कि देवी-देवता नहीं होते।

अगर मैं उसको बताता कि, " वहां भूत-प्रेतों का साया है.. उस घर में जो भी रहता है, वह पागल हो जाता है या आत्महत्या कर लेता है.. दिन में भी उस घर के आसपास कोई जाने की हिम्मत नहीं कर सकता.. रात में उस घर के ऊपर परछाइयां उड़ती हैं.. और रातभर हँसने, रोने-चीखने की आवाज़ें आती हैं..

ये बातें सुनकर मेहमान का मन ख़ौफ़ से भर जाता.. वह वहाँ जाने से इनकार कर देता.. अगर मज़बूरी में उसको जाना पड़ता तो उसको दूर से वह घर ख़ौफ़नाक लगता.. अंदर क़दम रखते ही उसका दिल कांप जाता.. उसको वहाँ की हर चीज़ डरावनी लगती.. उसको लगता कि कई डरावनी आंखें उसको घूर रही हैं.. खिड़की के बाहर कोई खड़ा है.. कोई रोशनदान से झांक रहा है.. ज़रा-सी आवाज़ से उसका दिल दहल जाता.. कई डरावने साये उसके आसपास घूमते.. सुबह होने तक वह कई ख़ौफ़नाक दृश्य देख लेता...  अगर वह ज़िंदा रहा तो वह रात उसके जीवन की सबसे ख़ौफ़नाक रात होती.. तब उसको कोई विश्वास नहीं दिला सकता कि भूत-प्रेत नहीं होते..
-----------------
इस काल्पनिक कहानी से हम वास्तविकता को अच्छे से समझ सकते हैं.. हम जो सुनते हैं, अगर हमने उसपे विश्वास कर लिया तो वही हमारे लिये सच हो जाता है, चाहे वह सरासर झूठ हो।

👍 धार्मिक स्थान भी इमारतें ही हैं लेकिन हमने उनके बारे में जो सुना है, हम वही महसूस करते हैं.. हमें वही सच लगता है।

👍 कब्रिस्तान या श्मशानघाट या कोई डरावनी जगह इस लिये डरावनी लगती है क्योंकि हमने उनके बारे में डरावनी कहानियां सुनी होती हैं।

दुनियाभर में सैंकड़ों छोटे-बड़े धर्म या पंथ हैं.. सबके अपने-अपने देवी-देवता, भगवान, अल्लाह, गॉड वगैरह हैं। जिस धर्म मे कोई पैदा हुआ, उसको उसके वाले का नाम और परिचय बता दिया जाता है.. वह विश्वास कर लेता है.. वही उसके लिये सच हो जाता है। जितनी भी धार्मिक आस्थायें, मान्यतायें, धारणायें, या विश्वास हैं, ये देख-परख के नहीं बनते, सबने इनके बारे में सुनकर मान लिया होता है.. यही उनके लिये सच बन जाते हैं।

हर धार्मिक आदमी झूठ को इस लिये सच मानता है क्योंकि उसके धर्म के करोड़ों लोग उसको सच मानते हैं.. जबकि हर धर्म का कथित सच, बाकी सबके लिये झूठ होता है।

जब झूठ के साथ डर और लालच जुड़ते हैं.. जब झूठ के साथ स्वर्ग-नरक जैसे डर और लालच जुड़ जायें तो झूठ की जड़ें मन में गहरी उतर जाती हैं।

झूठ को झूठ साबित करना मुश्किल नहीं होता, लेकिन जब झूठ को झूठ कहना जुर्म हो जाये, तब झूठ ही राज करता है।

सदियों पुरानी क़िताबों में क्या लिखा है.. या करोड़ों लोग क्या कहते हैं.. इससे सच साबित नहीं होता.. करोड़ों लोग  बलात्कारियों को भी भगवान मान लेते हैं.. भीड़ का सच से नाता नहीं होता.. सच को अकेले इन्सान ही जान सकते हैं।

जब तक हम वैज्ञानिक नज़रिया नहीं अपनाते, जब तक हम पढ़ी-सुनी बातों को तर्क और तथ्यों से नहीं परखते.. तब तक हम झूठ के सहारे झूठी ज़िंदगी जीते रहेंगे..

सच को मानिये मत.. सच को जानिये,
लाइफ़ कोई ट्रायल पीरियड नहीं है, पहला और अंतिम मौक़ा है.. हमें सच के साथ, सच्चा और सार्थिक जीवन जीना चाहिये...

जय भारत भूमि

टिप्पणियाँ

Tapan ने कहा…
बहुत अच्छी कहानी प्रस्तुत की है आपने....

लोकप्रिय पोस्ट