ब्रह्मभोज

एक निमंत्रण मिला

              * शोक संदेश *
बड़े दुःख के साथ सूचित किया जाता है कि हमारे परमपूज्य पिता जी का देहावसान अमुक दिनांक को हो गए है जिनकी आत्मा की शांति हेतु ब्रह्मभोज रस्म पगड़ी का आयोजन अमुक दिनांक को अमुक स्थान पर है

शोकाकुल फलाने सिंह , ढिकाने सिंह इत्यादि

अब दावत का निमंत्रण था तो हम भी चले गए । सोचा पुराने परिचित हैं तो इस बहाने मिल भी लेंगे और दावत सो अलग ।
पहुंचे तो देखा बड़ी विशाल दावत थी हजारों की भीड़ लोग बात कर रहे थे की शायद पूरा जिला आमंत्रित किया है , विडंवना थी कि आज जो बेटे पिता की इतनी बड़ी यज्ञ कर रहे थे वे सब पिता को छोड़ कर अलग रहते थे और कभी कभार पिता के आने पर उनकी बीबियाँ रोटियों की गिनती और उस पर लगे घी को भी टोल मोल कर हिसाब लगाती थीं मगर आज तो कई क्विंटल दही बूरा की शानदार दावत थी ।
मन बड़ा कौतूहल में था कि जिस बाप को एक बीड़ी का बिंडल भी बेटे न दिलाते थे आज उस बाप का माला टंगा फोटो धूप दीप और विभिन्न पुष्पों से शोभायमान था ।

खैर इन्तजार की घड़ी समाप्त हुई हम भी खाना खाने को बैठे और चूंकि हम थोड़े करीबी भी थे तो जो बेटे अपने बाप की दावत कर रहे थे वे भी हमारी पंक्ति में  खाना खाने बैठे ।
शुरू भी न किया था कि सबसे छोटा बोला भैया 15 लाख का खर्चा आया है पिता जी की जमीन को बेच कर चुकता कर बाकी पैसा बाँट लेंगे ।
इतने में मंझले बोले की जो बीमारी में 50 हजार का खर्चा हुआ उसे मैं अलग लूंगा  बड़े मियां बिफर गए बोले पिताजी खेती में काम तुम्हारा करवाते थे और इलाज का पैसा  हम दें ।
इतने में तना तनी हुई , कहासुनी और
मारपीट की नौबत आगई और हम दावत छोड़ बीच बचाव करने लगे ।

और इस प्रकार सपूत बेटों ने बाप का ब्रह्मभोज संपन्न किया ।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
superb! 😂😂😂👌👌👌
अब्बू जाट ने कहा…
हार्दिक आभार

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