भिखारी

विराट एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का था । काफी योग्य और शिक्षित था और उसके सपने और अरमान भी काफी ऊंचे थे । एक दिन उसके लिए एक रिश्ता आया लड़की के पिता जी को विराट पसंद था और अच्छे परिवार की वजह से अपनी बेटी की शादी विराट के ही साथ करना चाहते थे ।

विराट के काफी दोस्त भी थे लगभग सभी के पास कार थीं सिवाय विराट के । विराट का मन अक्सर कार खरीदने को करता मगर परिवार की आर्थिक स्थिति को देख कर चुप हो जाता । खैर अब तो सुनहरा मौका था तो विराट ने ऋषिका के पापा के सामने शादी में कार की मांग रख दी जोकि ऋषिका के पिता जी ने सहर्ष स्वीकार कर ली ।
खैर शादी हंसी ख़ुशी सम्पन्न हुई

अपनी नई नवेली दुल्हन ऋषिका को शादी के दूसरे दिन ही दहेज मे मिली नई चमाचमाती गाड़ी से शाम को विराट लॉन्ग ड्राइव पर लेकर निकला । विराट गाड़ी बहुत तेज भगा रहा था , ऋषिका ने उसे ऐसा करने से मना किया तो बोला-अरे जानेमन ! मजे लेने दो आज तक दोस्तों की गाड़ी चलाई है , आज अपनी गाड़ी है सालों की तमन्ना पूरी हुई । मैं तो खरीदने की सोच भी नही सकता था , इसीलिए तुम्हारे पापा से मांग करी थी । ऋषिका बोली -अच्छा , म्यूजिक तो कम रहने दो ....आवाज कम करते ऋषिका बोली ,
तभी अचानक गाड़ी के आगे एक भिखारी आ गया , बडी मुश्किल से ब्रेक लगाते , पूरी गाड़ी घुमाते विराट ने बचाया मगर तुरंत उसको गाली देकर बोला-अबे मरेगा क्या भिखारी साले , देश को बरबाद करके रखा है तुम लोगों ने ,तब तक ऋषिका गाड़ी से निकलकर उस भिखारी तक पहुंची देखा तो बेचारा अपाहिज था उससे माफी मांगते हुए और पर्स से 100रू निकालकर उसे देकर बोली-माफ करना काका वो हम बातों मे ....

कही चोट तो नहीं आई ?
ये लीजिए हमारी शादी हुई है मिठाई खाइएगा ओर आर्शिवाद दीजिएगा ,कहकर उसे साइड में फुटपाथ पर लेजाकर बिठा दिया, भिखारी दुआएं देने लगा,गाड़ी मे वापस बैठी ऋषिका से विराट बोला -तुम जैसों की वजह से इनकी हिम्मत बढती है भिखारी को मुंह नही लगाना चाहिए, ऋषिका मुसकुराते हुए बोली - विराट भिखारी तो मजबूर था इसीलिए भीख मांग रहा था वरना कुछ लोग तो सबकुछ सही होते हुए भी लोग भीख मांगते हैं दहेज लेकर ! जानते हो खून पसीना मिला होता है गरीब लड़की के माँ - बाप का इस दहेज मे , ओर लोग.. तुमने भी तो पापा से गाड़ी मांगी थी तो कौन भिखारी हुआ ?वो मजबूर अपाहिज या तुम ?

एक बाप अपने जिगर के टुकड़े को २० सालों तक संभालकर रखता है दूसरे को दान करता है जिसे कन्यादान "महादान" तक कहा जाता है ताकि दूसरे का परिवार चल सके उसका वंश बढे और किसी की नई गृहस्थी शुरू हो , उसपर दहेज मांगना भीख नही तो क्या है बोलो ..? कौन हुआ भिखारी वो मजबूर या तुम जैसे दूल्हे ....विराट एकदम खामोश नीची नजरें किए शर्मिंदगी से सब सुनता रहा क्योंकि वो समझ गया था कि कौनसे भिखारियों ने माँग माँग कर देश को बर्बाद कर दिया
ऋषिका की बातों से पडे तमाचे ने उसे बता दिया था कि कौन है सचमुच का भिखारी।

मित्रों कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं मगर फिर भी कहीं न कहीं हमारी जिंदगी से मिलते जुलते हैं । दहेज़ एक ऐसा कोढ़ है जो हमारे समाज में फैला हुआ है ।
जहाँ तक मेरा मानना है कि दहेज़ लेने वाला अकेला दोषी नहीं दहेज़ देने वाला भी बराबर दोषी है ।
दहेज़ के कारण ही अप्रत्यक्ष रूप से हम बेटियों को शिक्षा के अधिकार से भी वंचित करते हैं ।

इसी के साथ मैं अब्बू जाट अपनी लेखनी को विराम देता हूँ
मिलता हूँ एक नए लेख के साथ

नमस्कार 🙏🙏

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