शादी वाला प्यार

हमारे बड़े अजीज मित्र की शादी थी
चूंकि हम भी काफी करीबी थे तो सुबह से ही अपना बैग उठा कर पहुँच गए ,
सब से मिलने के बाद जब हम अकेले बैठे तो एहसास हुआ कि यहाँ तो मौसम बड़ा हसीं और युवा वर्ग विशेष रूप से बड़े खुश हैं और होते भी क्यों न आखिर शादी का माहौल था और हम सब जानते हैं कि एक शादी में दो चार प्रेम कहानियां लिख जाती हैं तो वहां सब बड़े प्रसन्न थे ।
कुछ दीदारे महबूब में खोए थे तो बाकी मोबाइल फ़ोन के माध्यम से मुस्कुराहट भरी गुफ्तगू करने में मशगूल थे ।
मगर हम ठहरे भयंकर कुंवारे दीदार तो दूर हमारे फ़ोन में तो कोई व्हाट्स एप कांटेक्ट भी ऐसा न था जो हम मुस्कुरा कर बात करते  ।
उस हसीं मौसम की मदहोशी से हमारा मन बैठता जा रहा था ।
सोच रहे थे कि काश....
हमारी भी कोई प्रेयसी होती !
कि
तभी
अचानक से हमारी नजर एक हसीं चेहरे पर पड़ी जो बिलकुल हमारी तरह ही अकेला बैठा था , फिर क्या था आज तो खुशनुमा माहौल में दिल भी जबाब दे ही गया ।
मगर हमारे दिमाग के एक कोने में एक सिग्नल लाल हुआ कि काहे फड़फड़ा रहे हो कहीं ऐसा तो नहीं आपकी चाहत एक तरफा रह जाये उनका भी तो हाल जान लो कि उनके मन में क्या है ।
बस फिर क्या था हम बैठ गए टकटकी लगा कर कि कब उनकी नजर हम पर पड़े ।
खैर हमको ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा हुजूर की नजरे इनायत हुई और हमारे मन की शंका भी दूर हो गई ,
हमारी बेढंगी सी मुस्कान का बड़ा प्यारा सा जबाब हमें बड़ी हसीं मुस्कान से ही मिला
अब तो हमारा दिल बल्लियों उछलने लगा और अब तो हमारे दिमाग ने भी स्वीकृति देदी ।
अब हमें बेचैनी इस बात की थी कि इनसे कुछ बात कैसे की जाए चूंकि हम बड़े शर्मीले स्वाभाव के रहे हैं तो बस मन मसोस कर इसलिए चुप रहे कि कहीं हमें इन पर लाइन मारते हुए किसी ने देख लिया तो बड़ी बदनामी होगी ।

अचानक से वो मोहतरमा हमारे ही पास वाली कुर्सी पर आकर बैठ गईं ,
हमारा तो दिल की धड़कन ही जाम हो गयी
इतना हसीं पल तो हमारी जिंदगी में कभी नहीं आया कि कोई हसीना हमारे पास आकर बैठे ..

खैर गुफ्तगू का सिलसिला शुरू हुआ और बातों ही बातों में हमने जब उनकी तारीफ की तो कुछ ऐसा हुआ कि हमारा दिल धक् से रह गया

उन्होंने हमारे चेहरे की तारीफ की
अब हम तो आसमान में उड़ने लगे कि तभी उन्होंने कहा कि आप अगर अपने चेहरे को मसाज करवा के आते तो बात ही कुछ और होती ।

अब हम ठहरे ठेठ देसी,
मसाज तो दूर की बात हम तो सेविंग भी खुद करते हैं लेकिन हम उस शर्मिंदगी से बचने को बोले कि दरअसल हमारे पास आज वक्त कम था तो नहीं करवाई वरना हम तो जरूर करवाते हैं ।
इतना सुनना था कि मोहतरमा बोली -
"हमारे होते हुए आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं"।

ये शब्द सुन कर तो हमारा मन बल्लियों उछलने लगा कितना अपनापन था उन शब्दों में ।
खैर उन्होंने अपने बैग से कुछ सामान निकाला और वहीँ हमारे चेहरे पर लगा कर चेहरे को अपने कोमल हाथों से मसाज करना शुरू किया तो मन कहीं खोने लगा ।
हम अपने आप को कोसने लगे कि ये मुहब्बत और आशिकी अब तक क्यों नहीं की देखो तो सही कितना आनंद है ।

और सभी को देख कर हम अपने मन में इठलाने लगे कि देखो हमारी 15 मिनट की माशूका कितने दिलो जान से हमारा खयाल रख रही है ।

सच में कितना हसीं लम्हा था कि उनके हाथ रुक गए और उनके शब्दों से हमारी तन्द्रा टूटी "कहाँ खो गए "

हमने कहा कि नहीं ऐसी कोई बात नहीं और उनका धन्यवाद कहा

मगर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं ये तो मेरा काम था ।
और अंतिम शब्द जो बोले वो तो हमारे सपनों के हसीं शीशमहल में एक पत्थर की तरह तोड़ते हुए दाखिल हुए

"मसाज के 120₹ हुए" 😊

बाद में पता चला कि वो सुंदरी एक ब्यूटिशियन थी जो हमारे दोस्त का मेक अप करने आई थी । अपने कार्य के अनुरूप ही उसका वो व्यवहार था जिसे हम प्यार मुहब्बत और आशिकी नाम दे दिए थे ।

और इस तरह हमारे उस मेकअप वाली प्रेम कहानी का अंत हुआ ।

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